Complete Analysis & Highlights of Economic Survey 2025 | Budget 2025


 


बजट 2025



  • नमस्कार दोस्तों दोस्तों जैसा कि आप सब जानते हैं बजट पेश करने के जस्ट पहले इकोनॉमिक सर्वे रिलीज किया जाता है और आपको पता ही होगा कि यह वन ऑफ द मोस्ट इंपॉर्टेंट डॉक्यूमेंट होता है फ्रॉम इंडियन इकोनॉमी पर्सपेक्टिव और इसी को देखते हुए फाइनली जो 2024 25 का इकोनॉमिक सर्वे है वो रिलीज कर दिया गया है तो इस उल्लेख के अंदर मैं आपको कंप्रिहेंसिवली पूरा का पूरा जो सर्वे है वो बताऊंगा 

  1. अलग-अलग चैप्टर्स में क्या चीजें मेंशन की गई हैं ?
  2.  यह इकोनॉमिक सर्वे क्या होता है ?


  •  वह सब कुछ आपको जानने को मिलेगा कुछ भी आपका छूटने वाला नहीं है इस उल्लेख में एक सिंगल उल्लेख के माध्यम से यह पूरा का पूरा आप कवर कर पाओगे तो चलिए इसकी शुरुआत शुरुआत करते हैं



सबसे पहले देखते हैं कि हुआ क्या है देखिए इंडियाज इकोनॉमिक सर्वे 2024 25 यह पार्लियामेंट में टेबल किया गया देखिए ध्यान रखिएगा आप में से कई लोग कंफ्यूज हो जाते हैं कि यह जो इकोनॉमिक सर्वे है क्या हम इसको 2025 - 26 का बोलेंगे नहीं यह होता है आपका जो हमारा करंट फाइनेंशियल ईयर चल रहा है इस समय जैसे 2024 25 फर्स्ट अप्रैल 2024 से लेकर 31 मार्च 2025 तक तो ये पूरे वित्तीय वर्ष में क्या-क्या चीजें हुई उसके बारे में यह इकोनॉमिक सर्वे बताता है और इसका जो कवर पेज है यह देख सकते हैं 


  • यह कवर पेज भी काफी माइनर रखता है कि इसमें क्या-क्या चीजें रखी गई हैं तो जैसा कि आप देख सकते हो उसमें कई सारे सिंबल्स बनाए गए हैं 



चाहे वो एग्रीकल्चर से रिलेटेड हो सर्विसेस हो गया इंडस्ट्रीज हो गया एनर्जी हो गया तो सब कुछ आपको इसके अंदर हाईलाइट देखने को मिलेगा और ध्यान रखिएगा ये जो पूरा इकोनॉमिक सर्वे होता है वो पहले फाइनेंस मिनिस्टर जो यूनियन बजट के जस्ट पहले पार्लियामेंट में पेश करती हैं वहां पर इसको टेबल करती हैं और तब जाकर यह पब्लिक में रिलीज होता है .


  • अब क्वेश्चन पहला यही है कि ये इकोनॉमिक सर्वे है क्या ?

 

  • जैसे कि इसके नाम सेही आप समझ पाओगे एक डिटेल रिपोर्ट हो होती है हमारे देश की अर्थव्यवस्था के बारे में मतलब यह हमारा जो फाइनेंशियल ईयर चल रहा है 2024 से 25 के बीच तक तो उसके बारे में पूरी की पूरी जानकारी इंडियन इकोनॉमी के बारे में दी जाती हैइसको प्रिपेयर कौन करता है यूनियन फाइनेंस मिनिस्ट्री के अंदर जो डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स है उसके अंदर यह डिवीजन है इकोनॉमिक डिवीजन इनके द्वारा इसको प्रिपेयर किया जाता है और ध्यान रखिएगा जब ये प्रिपेयर होता है इसको फाइनेंस मिनिस्टर जो है अप्रूव करते हैं और साथ ही साथ मैं आपको बता दूं 1950-51 से 1964 के बीच में यह बेसिकली बजट के साथ ही पेश किया जाता था एक सिंगल डॉक्यूमेंट होता था उसके साथ ये पेश कर दिया जाता था लेकिन 2010 से 2021 के बीच में अगर आप देखोगे तो जो इकोनॉमिक सर्वे है वो दो वॉल्यूम्स में आने लगा लेकिन फिर आगे चलकर वापस से जो अभी करंट चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर हैं क्योंकि उनके ऑफिस के द्वारा ही एक तरह से प्रिपेयर किया जाता है चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर हैं वी अनंत नागेश्वरण तो वो जब यहां पर आए 2022-23 से तो उन्होंने इसको सिंगल वॉल्यूम फॉर ट में बना दिया मतलब एक सिंगल वॉल्यूम होता है यहां पर जिसमें सारी जानकारी आपको मिलती है


  1.   सर्वे इतना महत्व क्यों रखता है 
  2. क्यों इतना मायने रखता है 
  3.  क्या फाइनेंस मिनिस्ट्री को यह मानना पड़ता है


  •  अगर इकोनॉमिक सर्वे में कुछ भी लिखा हुआ है जितनी भी चीजें रिकमेंडेशंस दी गई हैं क्या वो कंपलसरी फाइनेंस मिनिस्ट्री को माननी पड़ेंगी ऐसा नहीं है ये बेसिकली एक प्रकार का असेसमेंट होता है और रिकमेंडेशन होता है जो कि अगर फाइनेंस मिनिस्ट्री चाहे तो ले सकती है या फिर चाहे तो रिजेक्ट कर सकती है लेकिन क्योंकि ये सब सरकार का ही हिस्सा होते हैं तो ज्यादातर चीजों को इंप्लीमेंट करने की कोशिश की जाती है एंड दैट इज व्हाई इसका इतना महत्व हो जाता है क्योंकि बजट के पहले आपको पूरी देश की अर्थव्यवस्था के बारे में पता चलता है कि इस समय किस हालात से हमारी देश की अर्थव्यवस्था गुजर रही है

 

  • अब मैं आता हूं इस सर्वे के ऊपर .



  • जैसा कि अगर आप देखोगे तो यहां पर जो अलग-अलग चैप्टर्स हैं वो सर्वे के बारे में दिए हुए हैं जैसे कि स्टेट ऑफ दी इकोनॉमी कैसी है इस समय मॉनेटरी एंड फाइनेंशियल सेक्टर कैसा है एक्सटर्नल सेक्टर कैसा है प्राइस इंफ्लेशन को लेकर चर्चा हुई इन्वेस्टमेंट इन इंडस्ट्री सर्विसेस तो मैं आपको इस पूरे उल्लेख में यह सब चीज के बारे में एक-एक करके यहां पर बताऊंगा सबसे पहले देखते हैं 


  •  सर्वे का क्या कहना है 



  • देखो जो इकोनॉमिक सर्वे आया है उनका ये कहना है कि इस समय अगर भारत में डोमेस्टिक ग्रोथ चाहिए अगर हमें अपने जीडीपी को बढ़ाना है तो क्या चीजें करनी होंगी डी रेगुलेशन करना होगा आपको याद होगा 1991 में जब लिबरलाइजेशन ग्लोबलाइजेशन और प्राइवेटाइजेशन लाया गया था तो उस समय डी रेगुलेशन की बात कही गई थी तो वही चीज यहां पर वापस से दोहराई जा रही है और इकोनॉमिक सर्वे का कहना है कि सरकार को डी रेग डी रेगुलेशन और ज्यादा करना चाहिए चाहे वो बिजनेस हो गया इन्वेस्टमेंट हो गया जितनी भी चीजें हैं मतलब सरकार दखल कम दे उसको डी रेगुलेट करें एंड लेट द मार्केट फोर्सेस वर्क ऐसा यहां पर इकोनॉमिक सर्वे का कहना है और हमें इसकी तरफ क्यों आगे बढ़ना चाहिए क्योंकि इकोनॉमिक सर्वे ये कहता है कि ग्लोबली अगर आप देखोगे तो इकोनॉमिकली और पॉलिटिकली बहुत बड़ा शिफ्ट आ रहा है स्पेशली दुनिया भर में अगर आपने देखा होगा 2024 में बहुत सारे इलेक्शंस हुए थे इनफैक्ट अमेरिका में भी इलेक्शन हुआ बड़ा चेंज देखा गया उसी प्रकार से यूरोप के अंदर मतलब कहीं ना कहीं आपको जो राइट विंग की विचारधारा है उधर जाते हुए इलेक्शंस के रिजल्ट कई जगह आपको देखने को मिलेगा फिर इसके अलावा चाइना के अंदर जो इकोनॉमिक स्लोडाउन हो गया यूएस डॉलर जिस तरह से स्ट्रेंथ हो रहा है तो कहीं ना कहीं इस समय ग्लोबल ट्रेड में इस समय आपको प्रॉब्लम्स देखने को मिलेगी तो इसकी वजह से हमें अपने डोमेस्टिक ग्रोथ के ऊपर फोकस करना चाहिए और उसको थोड़ा सा मजबूती से आगे बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए सर्वे का यह भी कहना है कि यहां पर हमें ब बैलेंसड अप्रोच अपनाना चाहिए एनर्जी ट्रांजीशन की तरफ यहां पर जो इलेक्ट्रिक मोबिलिटी होती है पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन होता है उसको प्रमोट करना चाहिए फिर इसके अलावा यहां पर स्किल्स एजुकेशन उसका हमें ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाना चाहिए और जो टेक्नोलॉजी है एआई आजकल आप देख ही रहे होगे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डीप सीक ये सब काफी ज्यादा चर्चा हो रही है तो यहां पर दोनों चीजें बताई गई हैं कि हम इसका फायदा भी उठा सकते हैं लेकिन इससे बहुत बड़ा खतरा भी है स्पेशली भारत को क्योंकि भारत में आबादी बहुत है यहां पर वर्किंग क्लास काफी ज्यादा है तो अगर एआई का बड़ा असर हुआ जॉब्स वगैरह गई तो भारत के ऊपर काफी असर पड़ेगा मैं आपको आगे उसके बारे में डिस्कस करूंगा लेकिन 


  1.  ओवरऑल इकोनॉमिक ओवरव्यू कैसा है ?
  2.  पूरे दुनिया की जीडीपी कैसी है ?
  3.  भारत की जीडीपी कैसी है  ?
  4. उसको लेकर इकोनॉमिक सर्वे का कहना है  ??

  • STEADY GROWTH OUTLOOK ACROSS GROUP :



  • देखिए 2024 में काफी आपको अनइवन ग्रोथ देखने को मिलेगी मतलब अगर आप इस ग्राफ में देखोगे तो दुनिया की जो टोटल वर्ल्ड की जो अगर आप ग्रोथ देखो तो यह 3.3 % रही है 2025 में हां 2024 में 3.2 % रही है और 2025 में 3.3 हो सकता है फिर इसके अलावा जो एडवांस्ड इकोनॉमी हैं उनकी एक्चुअल में ग्रोथ बड़ी अगर आप देखोगे तो 1.7 % से 1.9 % जा सकती है लेकिन जो इमर्जिंग मार्केट इकोनॉमी हैं जैसे भारत चाइना साउथ अफ्रीका तो यहां पर एक्चुअल में ग्रोथ कम हो सकती है अगर आप देखोगे क्लियर तो 2023 के मुकाबले में लगातार यहां % थोड़ी सी ग्रोथ कम हो रही है वहीं एडवांस जो इकोनॉमी है अमेरिका यूरोप वहां पर आपको ग्रोथ बेटर देखने को मिलेगा 



  • INDIAN ECONOMIC PERFORMANCE :



  • भारत का सवाल है तो देखिए बोला गया है 2024 - 25 में भारत की जो रियल जीडीपी है वो 6.4 % रह सकती है एंड इसमें भी देखिए क्लियर बोला गया है कि एग्रीकल्चर और सर्विसेस इनका काफी इंपॉर्टेंट रोल रहा है तभी हम 6.4 अचीव कर पाए हैं इसका मतलब साफ हुआ कि अभी भी भारत मैन्युफैक्चरिंग में उतना अच्छा नहीं कर पा रहा है यह खुद इकोनॉमिक सर्वे कह रहा है फिर इसके अलावा जो एग्रीकल्चर की अगर हम बात करें तो जो रूरल डिमांड इंप्रूव हुई है इट इज बिकॉज़ ऑफ   इसके अलावा मैन्युफैक्चरिंग पर काफी प्रेशर एंड इसका कारण दिया गया है इकोनॉमिक सर्वे में   क्योंकि दुनिया भर में जो कॉन्फ्लेट टेंशंस इस समय चल रही है ट्रेड पॉलिसी स्पेशली डोनाल्ड ट्रंप आए हैं तो आपने देखा होगा टैरिफ वगैरह की चर्चा चल रही है तो इस समय ग्लोबली डिमांड थोड़ी सी वीक है जिसकी वजह से भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर सफर किया है इसके अलावा हमारे देश की जो मैक्रो इकोनॉमिक स्टेबिलिटी है वो थोड़ी सी अच्छी रही है एंड दैट इज बिकॉज फिजिकल डिसिप्लिन मतलब सरकार आपने देखा होगा कि अपने आप को थोड़ा सा कंस्ट्रेंट कर रखी कि हम बहुत ज्यादा बोरो नहीं करेंगे जो हम फिस्कल डेफिसिट की बात करते हैं ना वो बहुत ज्यादा नहीं बढ़ना चाहिए फिर इसके अलावा अगर आप इस ग्राफ में देखोगे तो इससे आपको समझ में आ जाएगा आपने PMI  के बारे में सुना होगा परचेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स तो इसमें अगर वैल्यू 50 के नीचे है तो यहां पर इसका मतलब नेगेटिव में हम जा रहे हैं वहां पर प्रोडक्शन वगैरह ग्रोथ नेगेटिव हो रही है लेकिन अगर पॉजिटिव में है 50 के ऊपर है तो मतलब प्रोडक्शन पॉजिटिव में हो रही है तो यहां पर अगर आप ध्यान से देखेंगे ये जो ब्लू कलर का लाइन है ये एक्चुअली मैन्युफैक्चरिंग को दिखा रहा है और मैन्युफैक्चरिंग आपको 50 के नीचे देखने को मिलेगा तो इसका मतलब यह हुआ मैन्युफैक्चरिंग सफर कर रहा है दूसरी तरफ अगर हम सर्विसेस की बात करें तो ये सर्विसेस ऊपर की तरफ जा रहा है मतलब वो पॉजिटिव में है ये मैं ग्लोबली बात कर रहा हूं ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग और ग्लोबल सर्विसेस के बारे में फिर इसके अलावा यहां पर बात की गई है कि कैसे ग्लोबल अनसर्टेनटीज है.



  • ELEVATED GOLBAL UNCERTAINTIES :



  •  दुनिया के अंदर जैसे कि अगर हम बात करें वर्ल्ड ट्रेड अनसर्टेनटीज के बारे में कि यहां पर दुनिया भर में अगर टेंशंस बढ़ती है अनसर्टेनटीज है तो इंडेक्स में भी आपको इजा देखने को मिलेगा 2023 में ये 8.5 था यह बढ़कर 13 हो गया है फिर इसके अलावा जिओ पॉलिटिकल रिस्क इंडेक्स भी बढ़ा है 121 से बढ़कर 133 चला गया है तो यह सब दिखाता है कि ग्लोबली काफी ज्यादा सिचुएशन खराब है वहीं अगर हम भारत के बारे में बात करें तो भारत का अगर आप जीडीपी देखोगे तो अगेन यहां पर एग्रीकल्चर ,इंडस्ट्री , सर्विसेस ग्रॉस वैल्यू एडेड जीडीपी ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट तो इसमें अगर आप देखिए इसको कंपेयर किया गया है जो अभी करंट फाइनेंशियल ईयर है ये जो ग्रीन वाला आप देख ना बॉक्स ये दिखा रहा है 2024 - 25 अभी करंट के फाइनेंशियल ईयर से और पिछले 10 साल का एवरेज कितना रहा है उससे इसको कंपेयर किया गया है तो इससे आपको पता चलेगा फॉर एग्जांपल सर्विसेस की हम बात करें तो यहां पर एक्चुअल में करंट फाइनेंशियल ईयर में जो ग्रोथ है वो पिछले 10 साल के एवरेज से कम आपको देखने को मिलेगी एग्रीकल्चर थोड़ा सा बेटर है इंडस्ट्री भी लगभग उतने ही के आसपास है तो यहां पर अगर हम जीडीपी की बात करें तो एवरेज अगर आप जीडीपी ग्रोथ की बात करोगे तो ये एक्चुअल में ऊपर है कंपेयर टू करंट फाइनेंशियल ईयर लेकिन इसमें एक ट्विस्ट है अगर आप इसको ध्यान से देखोगे ना इस ग्राफ को इसमें लिखा हुआ है एक्सक्लूडिंग 2021 एंड 2022 तो इसका मतलब ये हुआ जो कोविड का समय था जिसमें हमारी जीडीपी एकदम नीचे चली गई थी उसको तो इसमें काउंट ही नहीं किया गया अगर आप उसको लोगे तो यहां पर आपको रिजल्ट थोड़ा सा अलग भी देखने को मिलेगा .


  • STRONG EXTERNAL SECTOR :



  • हम बात करें एक्सटर्नल सेक्टर के बारे में जैसे मर्चेंडाइज ट्रेड बैलेंस की बात करें सर्विसेस की बात करें तो आपको पता होगा सर्विसेस में तो हम पॉजिटिव रहते हैं हम ज्यादा एक्सपोर्ट करते हैं सर्विसेस जैसे आईटी वगैरह हो गया तो ये पर्पल कलर से आपको देखने को मिलेगा फिर वहीं अगर हम बात करें मर्चेंडाइज ट्रेड बैलेंस की मतलब जो गुड्स वगैरह है हम सबको पता है हम ज्यादा इंपोर्ट कराते हैं तो वो आपका नेगेटिव में देखने को मिलेगा तो इसी की वजह से करंट अकाउंट बैलेंस जो है वो आपका हमेशा नेगेटिव में ही रहता है फिर इसके अलावा बात की गई है बैंकिंग सिस्टम के बारे में तो इसमें थोड़ा सा इजाफा कैपिटल टू रिस्क वेटेड जो एसेट रेशो होता है वो भी आपको बेटर देखने को मिल रहा है
 

  • MONETARY AND FINANCIAL SECTOR DEVLOPM :THE CART AND THE HORSE



  

  • अब हम आते हैं यहां पर अलग-अलग अगेन चैप्टर्स को लेकर दूसरा यहां पर जो चैप्टर है इट इज रिलेटेड टू मोनेटरी एंड फियल सेक्टर डेवलपमेंट मतलब जो बैंकिंग वगैरह से रिलेटेड सेक्टर्स हैं उसमें क्या परफॉर्म हुआ है भारत का तो अगर आप इसमें देखोगे इसमें बोला गया है इकोनॉमिक सर्वे में जो बैंकों की एसेट क्वालिटी है वो इंप्रूव हुई है एंड यहां पर हम बात कर रहे हैं एनपीए के बारे में जो नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स होते हैं ना एनपीए आपको पता होगा जैसे बैंकों ने अगर ₹100 उधार दिया तो इसमें से हो सकता है ₹10 वापस ना आए तो एनपीए एक तरह से 10 पर हो गया नॉन नॉन परफॉर्मिंग एसेट राइट तो यहां पर जो ग्रॉस नॉन परफॉर्मिंग एसेट रेशो है ये ये अगर आप देखोगे तो पिछले कुछ वर्ष में कम हुआ और ये एक अच्छी बात है यहां पर अगर आप क्लीयरली देखिए 2021 - 22 में 7.3 %पर था इनफैक्ट इसके पहले अगर आप देखोगे 2014 के आसपास तो ये डबल डिजिट में चला गया था 13% पर 14 %पर इतना हो गया था लेकिन उसको धीरे-धीरे करके कम ल किया गया है यहां पर 2.6 %पर पर आ गया है एंड इसी की वजह से बैंकों का जो प्रॉफिट है वो भी यहां पर बड़ा है जो कि इस ग्राफ से आप क्लियर देख सकते हैं अब देखिए क्या होता है कि जब यहां पर बैंकों की हालात सुधरती है उनकी प्रॉफिटेबिलिटी बढ़ती है एनपीए कम होता है



  • BANK CREDIT STEADY :



  • तो इसकी वजह से यहां पर बैंक ज्यादा क्रेडिट दे पाते हैं पहले क्रेडिट नहीं दे पाते थे तो यहां अगर आप देखोगे तो बैंकों का जो क्रेडिट है वह एक्चुअल में लगातार बढ़ा है इट इज इन लाख करोड़ देख सकते हैं आप नवंबर 2024 तक 170 लाख करोड़ का क्रेडिट दिया गया था बैंकों के द्वारा तो यह परफॉर्मेंस इंप्रूव हुई है जो कि एक अच्छी बात है



  • DEVELOPMENT IS CAPITAL MARKETS :


  • हम बात करें कैपिटल मार्केट के बारे में देखो कैपिटल मार्केट बहुत इंपॉर्टेंट हो जाता है कैपिटल मार्केट एक ऐसा मार्केट जहां पर अ आपकी अ जो है अ पैसा जो हो गया एक तरह से वो आपका बोरो किया जाता है लिया जाता है जैसे कोई कोई कंपनी है उनको अपना फंड रेज करना है राइट तो अपना शेयर्स बेचते हैं और वहां से फंड रेज होता है जैसे प्राइमरी मार्केट हो गया राइट तो अगर आप देखोगे अप्रैल से दिसंबर 2024 के बीच में प्राइमरी मार्केट में आप सोचिए ₹ लाख करोड़ रुपए मोबिलाइज किए गए हैं मतलब पैसा जुटाया गया है और उसको इन्वेस्ट किया गया है राइट तो एक बड़ी बात है अपने आप में फिर इसके अलावा डीमेट अकाउंट लोग शेयर्स वगैरह में इन्वेस्ट करते हैं तो डीमेट अकाउंट जो है खुलवाया गया है कितना 18.5 करोड़ टोटल हो गया है जो कि पिछले साल के मुकाबले 33 ज्यादा है मतलब लोग ज्यादा डिमैट अकाउंट खुलवा रहे हैं ताकि शेयर्स में डायरेक्टली इन्वेस्ट कर सकें यहां पर अगर हम आईपीओ की बात करें काफी ज्यादा चर्चा में रहता है इनिशियल पब्लिक ऑफि जब कंपनी अपना पहली बार शेयर बेचती है तो आईपीओ के माध्यम से बेचती है तो ये आप देख सकते हो टोटल 259 आईपीओ ये यहां पर रिलीज किया गया और इसका टोटल वैल्यू अगर आप देखोगे तो इट इज 1.53 लाख करोड़ इतना जुटाया गया है आईपीओ के माध्यम से फिर इसके अलावा म्यूचुअल फंड्स भी अगर आप देखो इन्वेस्टर्स वो डबल हो गए हैं 2020 - 21 में आपका 2.9 करोड़ म्यूचुअल फंड इन्वेस्टर्स थे इनकी संख्या बढ़कर 5.6 करोड़ हो गई है फिर इसके अलावा अगर हम बात करें भारत का जो मार्केट कैपलाइन है टू जीडीपी रेशियो मतलब कि हमारी जीडीपी कितनी है और उसको अगर हम कंपेयर करें हमारे अ जैसे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज उनका टोटल मार्केट कैपिट इजेशन कितना है कंपनीज की टोटल वैल्यू कितनी है तो ये 136 पर है मतलब हमारे जीडीपी से ज्यादा मार्केट कैपिला वैल्यू कंपनीज की आपको देखने को मिलेगी फिर इसके अलावा एसआईपी फ्लो भी बढ़ा है हर महीने क्या होता था एवरेज में पहले 10,000 करोड़ जो है इन्वेस्ट किया जाता था एसआईपीके माध्यम से जो कि अब बढ़कर 23000 करोड़ हो गया है हर महीने इतना ज्यादा पैसा एसआईपी के माध्यम से आ रहा है 



  • RURAL FINANCIAL INSTITUTIONS HAVE PLAYED A SIGNIFICANT ROLE IN ADVANCING FINANCIAL INCLUSION :




  •  यहां पर अगर हम देखें तो रूरल फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस क्योंकि ये तो बड़ी-बड़ी चीजों की बात हो गई कि बहुत सारा पैसा निवेश हो रहा है लेकिन गांव में रूरल एरियाज में यहां पर फाइनेंशियल इंक्लूजन हो रहा है कि नहीं तो इकोनॉमिक सर्वे में बोला गया है कि जो आरबीआई की फाइनेंशियल इंक्लूजन इंडेक्स है इसमें आप देख सकते हो वैल्यू 53.9 से बढ़कर 20224 में 64.2 हो गई है और इसमें र रीजनल रूरल बैंक्स का परफॉर्मेंस देखो तो यहां पर 22000 ब्रांचेस हैं 700 डिस्ट्रिक्ट्स में 6.6 लाख करोड़ डिपॉजिट हुए हैं वहां पर 4.7 लाख करोड़ क्रेडिट दिया गया है उधार दिया गया है लोन दिया गया है 
  

  • ESTRENAL SECTOR : GETTING FDI RIGHT 



  •  हम एक्सटर्नल सेक्टर की बात करें इंपोर्ट एक्सपोर्ट ये सब की बात करें तो यहां पर सबसे पहली चीज़ यही बोली जा रही है कि ग्लोबल ट्रेड अनसर्टेनटीज क्या हुआ है कि वापस से जो फॉरेन ट्रेड है जो ग्लोबल ट्रेड है उसमें आपको रिबाउंड देखने को मिलेगा कहने का मतलब अगर आप देखोगे तो 2023 में जिस तरह का सिचुएशन हो गया था अ स्पेशली 2023 में ही अह आपका इज़राइल गाज़ वाला वॉर स्टार्ट हुआ था 2022 में से आपका अभी जो रशिया यूक्रेन वाला वॉर है वह चल ही रहा है फिर मिडिल ईस्ट में भी आपने देखा होगा जो ईरान और इजराइल यह सब चीज़ें चल रही थी तो ग्लोबल ड काफी इंपैक्ट होता है लेकिन अब वापस से क्वार्टर टू से बताया जा रहा है कि उसके बाद से चीजें इंप्रूव हुई है यहां पर ग्लोबल ट्रेड धीरे-धीरे पिक कर रहा है 

  • INDIA'S TRADE PERFORMANCES  IN THE FIRST EIGHT MONTHS OF FY25




  •  भारत के ट्रेड परफॉर्मेंस का सवाल है पहले 8 महीने में तो यहां पर सबसे पहले अगर हम बात करें मर्चेंडाइज ट्रेड डेफिसिट के बारे में तो ये अगर आप देखोगे तो 190 बिलियन डॉलर से बढ़कर ये पहुंच गया है 211 बिलियन डॉलर मतलब हमारा ट्रेड डेफिसिट एक्चुअल में बढा है कैसे क्योंकि यहां पर अगर हम देखें एक्स एक्सपोर्ट और इंपोर्ट तो इससे आपको पता चलेगा हमने एक्सपोर्ट कितना किया ये हम ध्यान रखिएगा मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट की बात कर रहे हैं मर्चेंडाइज जो गुड्स वगैरह होते हैं जो सर्विसेस हैं वहां तो हमारा सरप्लस रहता है लेकिन अगर आप देखो मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट में तो हमने 322 बिलियन डॉलर के गुड्स एक्सपोर्ट किए थे लेकिन इंपोर्ट कितना किया हमने 533 बिलियन डॉलर के गुड्स जिसकी वजह से 211 बिलियन का हमारा डेफिसिट हुआ है फिर इसके अलावा यहां पर ये बोला गया है कि जब अगर हम एक्सपोर्ट की बात करें तो नॉन पेट्रोलियम और नॉन नॉन जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट ये हमारा अच्छा खासा बढ़ता हुआ आपको देखने को मिलेगा जैसे नॉन पेट्रोलियम एक्सपोर्ट जो है ये 255 बिलियन डलर से 273 बिलियन डॉलर हुआ है ये हमने एक्सपोर्ट किया है उसी प्रकार से नॉन जेम्स ज्वेलरी एक्सपोर्ट भी हमारा 230 से 251 बिलियन डॉलर हो गया है 



  • SERVICES TRADE SURPLUS IN THE FIRST NINE MONTHS OF FY25 :



  • यहां पर सर्विसेस में तो देखो भारत हमेशा से सरप्लस में रहा है बहुत सारा हम सर्विसेस एक्सपोर्ट करते हैं जैसे आईटी स्पेशली हो गया तो सर्विसेस एक्सपोर्ट आप देख सकते हो क्लियर ये 281 बिलियन डॉलर हो गया है बढा है सर्विसेस इंपोर्ट बात करें तो $50 बिलियन डॉलर मतलब सरप्लस कितना है हमारा 131 बिलियन डॉलर तो ये यहां पर पॉजिटिव चीज है

  • EASE OF DOING BUSINESS INITIATIVES FOR EXPORTERS :





  •  हमें एक्सपोर्ट्स को बढ़ाना है तो ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इनिशिएटिव लेना पड़ेगा और उसमें क्या-क्या चीजें हुई हैं जैसे कि फॉर एग्जांपल जो लॉजिस्टिक्स हब्स हैं वो डेवलप किया गया है इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया गया है फिर इसके अलावा जो सप्लाई चेन एफिशिएंसी होती है उसको इंप्रूव किया गया है मतलब मान लीजिए अगर आपको अपने गोडाउन से कोई भी सामान एक्सपोर्ट करना है तो कितना जल्दी वो रोड के माध्यम से पोर्ट पर पहुंचता है पोर्ट से वो फिर शिप पर जाता है शिप से आपका एक्सपोर्ट चला जाता है तो पूरा जो सप्लाई चेन वगैरह है वो होना बहुत इंपॉर्टेंट है फिर इसके साथ-साथ ट्रेड कनेक्ट ई प्लेटफॉर्म डीजीएफटी ट्रेड फैसिलिटेशन मोबाइल ऐप वो लॉन्च किया गया मतलब ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की बनाने की कोशिश की गई ताकि एक्सपोर्ट ज्यादा से ज्यादा हो सके



  • INDIAN CONTINUES TO ATTRACT SUBSTANTIAL FOREIGN INVESTMENTS :


  • हम एक्सटर्नल सेक्टर की बात करते हैं तो एफडीआई ये बहुत मायने रखता है क्योंकि भारत को कैपिटल की कमी है कैपिटल जितना ज्यादा से ज्यादा भारत के अंदर आएगा उतना हम बेटर परफॉर्म कर पाएंगे उसको इन्वेस्ट कर पाएंगे नौकरियां लगेंगी और हमारी जीडीपी बढ़ सकेगी तो यहां पर अगर आप ग्रॉस एफडीआई इनफ्लोज देखिए तो इसमें बताया गया है कि 2023 में अप्रैल से नवंबर महीने तक अगर आप देखोगे तो 47 बिलियन डॉलर आया था भारत में जो कि इस साल मतलब जो 2024 में अगर आप देखिए तो ये बढ़कर हो गया है 56 बिलियन डॉलर अब देखना होगा कि जो पहला 2024 का पूरा फाइनेंशियल ईयर है उसको हम पूरा पार कर पाते हैं कि नहीं खैर इसके अलावा एक और इंटरेस्टिंग चीज है वो है आपका रिपेट्रिएशन मतलब मान लो एफडीआई ऐसा थोड़ी है कि बस आता ही रहेगा अगर मान लो कोई विदेशी निवेशक है व भारत में निवेश कर रहा है तो वो क्यों निवेश कर रहा है ताकि वह प्रॉफिट कमाए और फिर पैसा वापस ले जाए तो यहां पर रिपेट्रिएशन भी बढ़ा है क्लियर आप देख सकते हो 2023 में इन्होंने 30$ बिलियन डॉलर निकाला था भारत से इस बार 40$  बिलियन डॉलर निकाला है मतलब ये लोग ज्यादा भारत से बाहर ले गए हैं तो यहां पर इकोनॉमिक सर्वे ये कह रहा है कि ये दिखाता है साइन कि भारत में प्रॉफिटेबल बिजनेस बनता है एंड इसीलिए लोग ज्यादा निवेश करते हैं अगर हम एफडीआई की बात करें तो जितना भी एफडीआई आता है हमारे देश में उसका सबसे बड़ा हिस्सा कौन से सेक्टर में जाता है तो सबसे ज्यादा जाता है सर्विसेस सेक्टर में फाइनेंशियल इंश्योरेंस इसकी तरफ जाता है लगभग 20 %पर हिस्सा एफडीआई का इसी सेक्टर में जाता है फिर इसके अलावा यहां पर कंप्यूटर सॉफ्टवेयर हार्डवेयर वहां पर आपको देखने को मिलेगा ट्रेडिंग हो गया नॉन कन्वेंशनल एनर्जी हो गया फिर उसके अलावा बाकी की चीजें आप देख सकते हैं



  • STRENGTHENING FOREX RESERVES :




  • एक और बहुत इंपॉर्टेंट चीज है और वो है आपका फॉरेक्स रिजर्व हमारे पास फॉरेक्स रिजर्व आरबीआई के पास कितना रखा हुआ है और देखो नो डाउट कि ये लगातार बढ़ता रहा है ये लगातार तेजी से में इजाफा हुआ है और एक समय ऐसा भी आया था पिछले साल सितंबर 2024 में कि हमारा फॉरेक्स रिजर्व 700 बिलियन डॉलर यह कभी नहीं हुआ था  बिलियन डॉलर ये क्रॉस कर गया था लेकिन उसके बाद आपने देखा होगा कि रुपी कमजोर होता गया जैसे ही डोनाल्ड ट्रंप जीत कर आते हैं डॉलर स्ट्रांग होता जाता है जिसकी वजह से रुपी स्ट्रांग रुपी कमजोर हो रहा था और उस कमजोरी को थोड़ा सा रोकने के लिए आरबीआई क्या करती है अपने खजाने में से फॉरेक्स रिजर्व में से डॉलर बेचना स्टार्ट कर देती है ताकि रुपी को थोड़ा सा कंट्रोल किया जा सके अगर वो नहीं करती तो ये 90 को पार कर गया होता अभी तो क्या है रुपी लगभग 86 को क्रॉस कर चुका है तो यहां पर अगर आप देखोगे तो इस समय फॉरेक्स रिजर्व हमारा नीचे चला गया है 640 बिलियन डॉलर लेकिन स्टिल हम काफी अच्छे खासे कंफर्टेबल पोजीशन पर हैं तो इसी का तो वेट रहता है ना कि ओबवियस सी बात है अगर रुपी बहुत ज्यादा नीचे जाए तो उसको कंट्रोल करने के लिए हमारे पास क्षमता हो अदर वाइज बहुत ज्यादा खतरनाक हो सकता है 



  • PRIZE AND INFLATION :



  •  यहां पर हम टॉपिक पर आते हैं इकोनॉमिक सर्वे के और वो है आपका रिलेटेड टू इंफ्लेशन अगेन ये बहुत मायने रखता है स्पेशली उन लोग लोगों के लिए जो लो इनकम ग्रुप में आते हैं क्योंकि सबसे ज्यादा इंफ्लेशन का असर उन्हीं के ऊपर होता है अब इसको थोड़ा सा आप ध्यान से समझिए इंफ्लेशन में क्या है ना कई चीजें होती हैं जिसके ऊपर आपको फोकस करना होता है अगर आप सिर्फ इंफ्लेशन कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स का नंबर देखोगे तो शायद उतना चीजें समझ में नहीं आती है खैर इससे आपको ग्राफ से और अच्छे से समझ में आएगा इसमें आपको दो चीजें देखनी है एक है सीपीआई टोटल जो इंफ्लेशन है फिर दूसरा है आपका कोर इंफ्लेशन ये ग्रीन कलर वाला अगर आप लाइन देखोगे तो यहां पर हमारा जो सीपीआई है टोटल जो कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स इंफ्लेशन है वो हो गया आपका 6 %  के ऊपर ये 10 % को मत देखना ये राइट हैंड साइड ये वाला जो वैल्यू है ये एक्चुअली होलसेल प्राइस इंडेक्स को आपका डिटरमाइंड करता है लेफ्ट में देखिए यहां पर 6 % को ऊपर चल रहा है मतलब 6 पर के आसपास चल रहा है जो कि आपको पता ही होगा मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी के ऊपर क्या जिम्मेदारी दी गई है कि आपको 2 % से लेकर 6 % के बीच में रहना है मतलब 4 % रखना है तो कहीं ना कहीं इंफ्लेशन ज्यादा है अब सरकार का ये कहना है और स्पेशली इकोनॉमिक सर्वे का ये कहना है कि ये जो इंफ्लेशन ज्यादा है उसका कारण है फूड इंफ्लेशन फूड इंफ्लेशन इस समय देश में काफी ज्यादा आपको देखने को मिलेगा स्पेशली वेजिटेबल्स हो गया फ्रूट्स हो गया इस तरह की जो चीजें होती हैं सीरियल्स हो गया टमाटर आलू प्याज एंड नो डाउट अगर आप में से जितने भी लोग वो परचेज करते हैं ऑर्डर करते हैं जो भी है तो आपने देखा होगा कि वहां पर आपको ज्यादा प्राइस पे करना पड़ रहा है पहले के मुकाबले तो यहां पर क्या करते हैं ना इंफ्लेशन में से फूड और फ्यूल को अगर माइनस कर दें अगर हम उसको हटा दें तो ये बन जाता है कोर इंफ्लेशन तो अगर आप कोर इंफ्लेशन का आंकड़ा देखोगे तो ये कम हो जाता है यह करीब पहुंच जाता है 4 % -  4.5 % इसके आसपास मतलब कि फूड इंफ्लेशन की वजह से जो टोटल इंफ्लेशन की वैल्यू है वो यहां पर बढ़ जाती है 
  • इससे आपको समझ में आएगा हेडलाइन इंफ्लेशन ये टोटल इंफ्लेशन को दिखाता है 

  •  हेडलाइन इंफ्लेशन :



  • अगर आप टोटल इंफ्लेशन में से टॉप को निकाल दो तो टॉप मतलब टोमेटो अनियन और पोटैटो तो ये जो आपका है टॉप ये तीन चीजें अगर आप निकालते हो तो इंफ्लेशन आपका देखिए नीचे चला गया अगर आप टोटल इंफ्लेशन में से वेजिटेबल और पल्सेस इन दोनों को निकाल देते तो इंफ्लेशन और ज्यादा नीचे चला गया इसका मतलब क्या समझ में आया कि फूड इंफ्लेशन एक मेन कारण बना हुआ है देश के अंदर जिसकी वजह से इतना ज्यादा इंफ्लेशन हुआ है और कहीं ना कहीं उसको कंट्रोल करना पड़ेगा सरकार को 



इकोनॉमिक सर्वे का कहना है कि सरकार ने कई मेजर्स लिए हैं जैसे सीरियल्स हो गया तो उसको कंट्रोल करने के लिए सरकार ने जैसे स्टॉक पर लिमिट लगा दी वीट के स्टॉक पर लिमिट लगा दी कि कोई एक व्यक्ति इससे ज्यादा स्टॉक नहीं रख सकता ओपन मार्केट सेल स्कीम निकाली यहां पर बेचा गया वीट और राइस को ताकि ज्यादा सप्लाई हो सेल अंडर भारत ब्रांड आपने देखा होगा सरकार भारत ब्रांड लेकर आई थी सीरियल्स के लिए वीट फ्लोर हो गया राइस हो गया पल्सेस के लिए भी इनफैक्ट अगर आप देखेंगे भारत ब्रांड चना मूंग मसूर दाल ये सब सरकार ने बेचा है सस्ते दाम पर फिर इसके अलावा यहां पर पल्सेस में ड्यूटी फ्री इंपोर्ट कराया है देसी चना तूर उरद ये सब जितने भी पल्सेस हैं उसपे कोई भी ड्यूटी सरकार ने नहीं लगाई है ताकि सस्ते दाम पर इंपोर्ट हो फिर इसके अलावा स्टॉक पर लिमिट लगाया वेजिटेबल्स में भी अगर आप देखो तो यहां पर जो सब्सिडीज है अनियन और टोमेटो पर उसके ऊपर सरकार ने कुछ सब्सिडी दिया है ताकि वेजिटेबल के दाम सस्ते हो लेकिन आई एम श्यर कि ये चीज आप सब जानते होंगे कि नो डाउट फूड इंफ्लेशन बहुत ज्यादा हाई चल रहा है



  • MEDIUM TERM OUTLOOK : DEREGULATION  DRIVES GROWTH 


  •  सर्वे को और वो है आपका मीडियम टर्म आउटलुक कैसा होगा और इसके लिए इकोनॉमिक सर्वे ने सजेस्ट किया है कि डी रेगुलेशन ये बहुत इंपॉर्टेंट है कि डी रेगुलेशन करना पड़ेगा सरकार को और देखिए इस चार्ट को आपको नीचे से समझना पड़ेगा यहां नीचे से आप शुरुआत करिए यहां पर लिखा हुआ है कि ग्लोबल ट्रेड काफी ज्यादा अफेक्ट हुआ है जो दुनिया भर में अशांति फैली हुई है उसकी वजह से प्रॉब्लम्स चल रही हैं तो इसकी वजह से हमें क्या करना चाहिए डोमेस्टिक ग्रोथ पर फोकस करना चाहिए अब डोमेस्टिक ग्रोथ को हम कैसे बढ़ा सकते हैं अगर हम डी रेगुलेशन करेंगे तो डी रेगुलेशन क्या करता है इट रेजस इन्वेस्टमेंट एफिशिएंसी यहां पर इकोनॉमिक फ्रीडम देता है इंडिविजुअल्स को कंपनीज को ताकि वो ज्यादा निवेश करें और ज्यादा प्रॉफिट कमा सके और कहीं ना कहीं यहां पर जो इकोनॉमिक फ्रीडम अगर मिलेगा इंडिविजुअल बिजनेसेस को यह हमारे ग्रोथ को पुश करेगा .






  •  इकोनॉमिक सर्वे में ध्यान रखिएगा डी रेगुलेशन के ऊपर काफी फोकस हुआ है और डी रेगुलेशन में भी यहां पर जब हम बात करते हैं ना तो ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इसको कहा गया है कि 2.0 लेकर सरकार को आना चाहिए मतलब इकोनॉमिक सर्वे ये कह रहा है कि जो ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पार्ट वन था जिसमें सरकार ने कई सारे काम किए जैसे रिड्यूस्ड कंप्लायंस बर्डन स्ट्रीमलाइन प्रोसेसेस किया डिजिटल डिजिटाइज किया सिस्टम को इंसेंटिव्स प्रोवाइड किए तो ये तो ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पार्ट वन हो गया अब ईज ऑफ डूइंग बिजनेस 2.0 सरकार को लाना चाहिए इसमें कुछ सजेशंस दिए गए हैं जैसे कि यहां पर जो स्टैंडर्ड्स हो गए लि उसको लिबरलाइज करना चाहिए कंट्रोल थोड़ा सा कम करना चाहिए फिर इसके अलावा जो लीगल सेफगार्ड्स है वो यहां पर ज्यादा देना चाहिए इंडिविजुअल्स को और कंपनीज को फिर इसके अलावा टैरिफ हो गया फीस हो गया जैसे आप इलेक्ट्रिसिटी पर वाटर पर यह सब जो चीजें जैसे मान लो कोई फैक्ट्री सेटअप कर रहा है तो उसको इलेक्ट्रिसिटी का बिल वाटर बिल ज्यादा पे करना पड़ता है तो वहां पर उनको थोड़ा सा फ्री छोड़ना चाहिए फिर इसके अलावा यहां पर रेगुलेशंस वगैरह जो है उस पर सरकार को फोकस करना चाहिए कि कैसे लीगल नॉर्म्स वगैरह हम थोड़ा सा कम कर सकते हैं चीजों को थोड़ा सा आसान बनाना चाहिए तो अगेन इस पर फोकस करेंगे कि नहीं सरकार वो देखने वाली बात होगी



  • INVESTMENT AND INFRASTRUCTURE : KEEPING IT GOING 




  •  आप का इन्वेस्टमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर जो कि अगेन आप सबको पता होगा यह कितना मायने रखता है किसी इकोनॉमी के लिए अगर आपके देश में इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है अ जैसे रोड हो गया सड़क फ्लाई ओवर्स वाटर इस तरह की अगर चीजें अवेलेबल नहीं है तो यहां पर आपको बहुत प्रॉब्लम होगी और बिजनेसेस ग्रो नहीं कर पाएंगे तो इसमें इकोनॉमिक सर्वे में दिखाया गया है कि कैसे फिजिकल कनेक्टिविटी सरकार ने बढ़ाने की कोशिश की है फॉर एग्जांपल रेलवेज की अगर हम बात करें तो यहां पर वंदे भारत ट्रेंस की चर्चा हुई है कि कैसे यहां पर वंदे भारत ट्रेंस पहले दो 20182 में सिर्फ दो थे धीरे-धीरे करते-करते आज के डेट में 68 वंदे भारत ट्रेन भारत में चलती हैं फिर इसके अलावा यहां पर अगर हम नंबर ऑफ कोचेस की बात करें तो ये संख्या बढ़कर 900 के आसपास हो गई है तो इसको दिखाया गया है





  •  सिविल एविएशन और पोर्ट्स की अगर हम बात करें जैसे एयरपोर्ट्स हो गया तो यहां पर उड़ान स्कीम आपको पता ही होगा इसकी वजह से आप देख सकते हो उड़ान जो एयरपोर्ट है उनकी संख्या 84 से 88 हो गई हैं एक 1 साल के अंदर फिर इसके अलावा यहां पर उड़ान रूट्स कितने रूट्स पर चल रहे हैं तो ये भी आपका 619 रूट्स देखने को मिलेंगे इसके अलावा अगर हम मेजर पोर्ट्स पर टर्न अराउंड टाइम की बात करें टर्न अराउंड टाइम का मतलब ये होता है जैसे मान लीजिए अगर आप कोई इंपोर्ट करा रहे हो या फिर एक्सपोर्ट कर रहे हो मान लो ठीक है तो आपके गोडाउन से कोई सामान रोड के माध्यम से पोर्ट तक जाएगा या फिर रेलवे के माध्यम से पोर्ट तक जाएगा अब पोर्ट पर पहुंचने के बाद मान लो कंटेनर पोर्ट पर पहुंच गया तो वो कंटेनर कितने जल्दी में शिप पर लोड होता है और फिर वहां से रवाना हो जाता है तो वो जितना टाइम लगता है ना उसको टर्न अराउंड टाइम कहते हैं तो 2023 - 24 में ये आपका 48 आवर्स हुआ करता था जिसको रिड्यूस करके 1 साल में 30 आवर्स कर दिया गया है मतलब जो कि एक अच्छी बात है कि यहां पर टर्न अराउंड टाइम कम होगा मतलब हम जल्दी से इंपोर्ट और एक्सपोर्ट कर पाएंगे एफिशिएंसी बढ़ानी है 





  • पावर सेक्टर की अगर हम बात करें तो कितना कैपेसिटी एडिशन हुआ है पावर सेक्टर में जैसे कि मेगावाटस की अगर हम बात करें पावर कैपेसिटी एडिशन तो ये 15000 मेगावाट एडिशन कैपेसिटी हो गया है ट्रा ट्रांसफॉर्मेशन कैपेसिटी एडिशन ये भी आपको देखने को मिलेगा ग्रोइंग रिलायंस ऑन रिन्यूएबल्स तो यहां पर हो क्या रहा है कि धीरे-धीरे हमारा जो नॉन फॉसिल का कंसंट है वो कम हो रहा है और जो रिन्यूएबल एनर्जीजर्स में ये 47 % हो गया है और जो नॉन फॉसिल से इलेक्ट्रिसिटी जनरेट होती है जो हम डिपेंडेंसी है वो 53 % पर आ गई है जो कि पहले ज्यादा हुआ करती थी 2020-21 में.






  •  डिजिटल कनेक्टिविटी अगेन इसको लेकर भी काफी काम हुआ है तो इसमें जैसे टावर्स इंस्टॉल करना हो गया तो इसमें भी संख्या इजाफा हुई है ऑप्टिक ऑप्टिकल फाइबर के केबल नेटवर्क जो है उसको भी यहां पर बढ़ाया गया है हाई स्पीड ब्रॉडबैंड इनकी संख्या भी तेजी से यहां पर बढ़ी है इसको बेसिकली दिसंबर 2023 से दिसंबर 24 के बीच में कंपेयर किया गया है







  •  भारत का ओवरऑल नेट प्रोग्रेस आपको ये देखने को मिलेगा जहां तक रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर का सवाल है तो देखिए यहां पर जल जीवन मिशन हो गया जो पाइप ड्रिंकिंग वाटर होता है ना घर में पाइप के माध्यम से ड्रिंकिंग वाटर सेफली पहुंच सके 2018 - 19 में ये आप देख सकते हो टोटल नंबर ऑफ रूरल हाउस हाउसहोल्ड्स कितने थे जहां पर पाइप के माध्यम से पानी पहुंचता था वो था 3.2 करोड़ जो कि आज के डेट में अगर आप देखोगे तो ये 15 करोड़ से भी ज्यादा हो गया है 15 करोड़ से ज्यादा रूरल एरियाज के घरों में जो पाइप के माध्यम से पानी है वो पहुंचता है और कौन-कौन से ऐसे राज्य हैं जिन्होंने फुल कवरेज हासिल कर ली है जल जीवन मिशन के अंदर तो वो है आपका अरुणाचल प्रदेश गोवा हरियाणा हिमाचल गुजरात पंजाब तेलंगाना और मिजोरम .




  • यहां पर कितने ओपन डेकेशन फ्री प्लस ध्यान रखिएगा और एडवांस लेवल का कि आपके यहां पर टॉयलेट के साथ-साथ प्रॉपर पानी की फैसिलिटी है कि नहीं बहुत सारी और चीजें एडिशन हो जाती हैं तो इसमें अगर आप देखोगे तो मार्च 2024 से लेकर नवंबर 2024 के बीच में अच्छा खासा इंप्रूवमेंट आपको देखने को मिलेगा फॉर एग्जांपल अगर हम उत्तर प्रदेश बिहार उत्तराखंड ये सब इलाके की बात करें तो आप देखिए कैसे ये ग्रीन होते जा रहे हैं फिर इसके अलावा राजस्थान हो गया ये भी काफी अच्छ तक ग्रीन हो गया है गुजरात महाराष्ट्र ये सब जितने भी एरियाज हैं वहां पर जो डार्क ग्रीन में आपको देखने को मिल रहे हैं मोर दन 75 प%र ओपन डे फिकेशन फ्री प्लस स्टेटस वहां पर दिया गया है 



  •  हम अलग-अलग चीजों में प्रोग्रेस की बात करें फॉर एग्जांपल प्रधानमंत्री आवास योजना तो अर्बन एरियाज में 1.18 करोड़ हाउसेस वो सैंक्शंस किए गए हैं अभी तक मतलब बनाने के लिए ठीक है और जहां तक मैं पढ़ रहा था इसके बारे में डिटेल रिपोर्ट तो मुझे समझ में आया कि 93 लाख जो हाउसेस हैं वो बनकर तैयार हो गए हैं फिर इसके अलावा अर्बन ट्रांसपोर्टेशन मतलब मेट्रो रेल की अगर हम बात करें तो करेंटली देश भर में 23 सिटीज में 1010 किलोमीटर का नेटवर्क है और साथ ही साथ 980 किमी पर काम इस समय चल रहा है फिर अमृत मिशन जो बहुत पहले 2015 में सरकार ने लॉन्च किया था जिसमें अर्बन एरियाज में बहुत सारे जो फैसिलिटी हैं वो प्रोवाइड की जाएंगी जैसे वाटर कवरेज हो गया 70 % कंप्लीट है टैप वाटर सीव जो कवरेज होता है वो भी 62 % कवर हो गया है जो स्मार्ट सिटीज की सवाल है कई लोग सवाल पूछते रहते हैं कि स्मार्ट सिटीज कितना कंप्लीट हुआ तो देखिए 93 पर जो प्रोजेक्ट्स हैं व 2025 तक कंप्लीट हो चुके हैं 



  • INDUSTRY : ALLL ABOUT BUSINESS REORMS 



  • इंडस्ट्री के बारे में तो इसको लेकर अगर आप देखोगे तो कहीं ना कहीं आपको एक नेगेटिव सेंटीमेंट देखने को मिलेगा एक इंडेक्स है जिसका नाम है बिजनेस एक्सपेक्टेशन इंडेक्स अब इसमें होता क्या है कि अगर वैल्यू 100 के नीचे है मतलब आप पेसिम िक हो आप थोड़ा सा नेगेटिव हो अगर आप ऑप्टिमिस्टिक हो तो ये वैल्यू 100 के ऊपर रहती है तो यहां पर एक्चुअली अगर आप देखोगे तो इस समय वैल्यू भले ही 100 के ऊपर तो है लेकिन पहले के मुकाबले ये नीचे की तरफ गई है मतलब बिजनेस एक्सपेक्टेशन लोगों का थोड़ा सा नेगेटिव की तरफ जा रहा है यह आप कह सकते हैं यहां पर तो इंडस्ट्री को लेकर कहीं ना कहीं रिफॉर्म्स की आवश्यकता है 







  •  इंडस्ट्रीज में अगर आप देखोगे तो दो सबसे इंपॉर्टेंट चीजें होती हैं एक होता है सीमेंट और स्टील मतलब भारत क्या किसी भी देश के अगर आपको प्रगति को देखना है ना तो आप उसमें ये दो चीजें देखिए कि सीमेंट और स्टील का प्रोडक्शन और कंजमेट जें चल रही हैं तो अगर आप अगर सीमेंट के प्रोडक्शन की बात करें तो कितना मिलियन टंन अगर आप देखोगे तो लगभग 250 मिलियन टंस का यहां पर प्रोडक्शन हुआ है ये मैं बात कर रहा हूं अप्रैल से अक्टूबर के बीच में फिर इसके अलावा स्टील हो गया तो इसमें भी इकोनॉमिक सर्वे का कहना है कि प्रोडक्शन भी ज्यादा हो रहा है और कंजमेशन को दिखा रहा है 



  •  कंजमपट्टी की बात करें तो यहां पर जैसे टेक्सटाइल एक्सपोर्ट हो गया तो इसमें भी इजाफा हुआ है ऐसा मानना है जैसे कि अगर हम एक्सपोर्ट की बात करें तो आप देख सकते हो एक्सपोर्ट यहां पर बढा है और इंपोर्ट जो है लगभग लगभग उतना ही आपको यह देखने को मिलेगा इंपोर्ट जहां तक सवाल है इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्रीज के तो देखो इसमें तो अच्छा खासा आपको इंपोर्ट बढ़ता हुआ देखने को मिलेगा क्योंकि डिजिटाइजेशन बढ़ता जा रहा है इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स लोग ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं तो क्लीयरली आपको देखने को मिलेगा कि यहां पर जो हमारा इंपोर्ट है इलेक्ट्रॉनिक्स का वो बढ़ा है लेकिन साथ ही साथ जो हमारी मैन्युफैक्चरिंग है वो भी बढ़ रही है लेकिन उतनी अभी नहीं बढ़ी है जितना यहां पर चर्चा चल रही है और जो सरकार कदम उठा रही है तो देखते हैं उसको लेकर और सरकार क्या करती है 




  • लेकिन अगर आपको इंडस्ट्रीज के परफॉर्मेंस को देखना है तो एक और चीज आप देख सकते हैं वह है आपका जैसे इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टीज यह भारत में कितना फाइल किया जा रहा है जैसे क्या है ना कि मान लो अलग-अलग प्रकार के इनोवेटिव प्रोडक्ट्स बनते हैं जैसे आप शर्क टैंक वगैरह देखते हो ना शर्क टैंक आता रहता है तो उसमें लोग आपने देखा होगा लोग आते हैं और दिखाते हैं कि हमने इस तरह का प्रोडक्ट बनाया आप हमारे बिजनेस में इन्वेस्ट करिए राइट तो यहां पर उसके वजह से लोग क्या है पेटेंट फाइल करते हैं कि हमने आविष्कार किया ये हमने प्रोडक्ट बनाया है ये हमारा फार्मूला है तो यहां पर अगर आप देखोगे तो इकोनॉमिक सर्वे का कहना है कि भारत में अच्छा खासा जंप आया है चाहे पेटेंट्स फाइल की बात करिए ट्रेडमार्क्स फाइल की बात करिए डिजाइन फाइल की बात करिए कॉपीराइट्स की बात करिए तो लोग ज्यादा फाइल कर रहे हैं और उसी हिसाब से रजिस्ट्रेशन भी इसका ज्यादा हो रहा है 


  • SERVICES : NEW CHALLENGES FOR THE OLD WAR HORSE



  •  दैट इज रिलेटेड टू सर्विसेस मतलब यहां पर देखिए अगेन सर्विसेस तो देखो क्या है ना भारत का बैकबोन है मतलब सर्विसेस सबसे ज्यादा हमारे जीडीपी में कंट्रीब्यूट करता है और ये क्लियर आप देख सकते हो अगेन कि इंक्रीजिंग ट्रेंड ऑफ सर्विसेस सेक्टर इन ग्रॉस वल जो वैल्यू एडिशन है ग्रॉस वैल्यू एडिशन तो यहां पर अगर आप देखोगे  2012 - 13 में जो हमारा सर्विसेस का कंट्रीब्यूशन था हमारे इकोनॉमी में वो 50 % था आज के डेट में ये बढ़कर लगभग 55 पर को क्रॉस कर गया है लेकिन देखो इससे थोड़ा सा चिंताजनक बात भी है मान लो अगर सर्विसेस ज्यादा कंट्रीब्यूट कर रहा है हमारे इकोनॉमी में इसका मतलब क्या हुआ जो हमारा इंडस्ट्रीज है जो मैन्युफैक्चरिंग है जो हम सोच रहे थे कि उसको और ज्यादा कंट्रीब्यूट करना चाहिए क्योंकि उससे जॉब्स ज्यादा जनरेट होती हैं वो कहीं ना कहीं नीचे की तरफ गया है राइट इससे तो यही समझ समझ में आता है ना क्योंकि सर्विसेस अगर ऊपर जा रहा है मतलब एग्रीकल्चर और इंडस्ट्रीज जो हैं वो आपका नीचे की तरफ जा रहे हैं फिर इसके अलावा अगर हम बात करें इंडियाज इंक्रीजिंग शेयर इन ग्लोबल सर्विसेस एक्सपोर्ट तो ये भी बड़ा है आज के डेट में आप देख सकते हो 2005 में सिर्फ 1.9 पर का कंट्रीब्यूशन था ग्लोबली सर्विसेस एक्सपोर्ट में जो आज के डेट में 4.3 %  हो गया है और इसी की वजह से यहां पर दो-तीन चीजों के बारे में चर्चा की गई है




  •  इकोनॉमिक सर्वे में कि क चैलेंजेबल क्या है चैलेंज ये है कि यहां पर जो ट्रेडिशनल अप्रेंटिसशिप मॉडल था उसमें बहुत सारे इश्यूज फेस करने पड़े हैं मतलब पहले की तरह जो हम ट्रेनिंग वगैरह लेते थे ना हमें उससे थोड़ा एडवांस होना पड़ेगा टेक्नोलॉजीज चेंज हो रही है इंफॉर्मेशन गैप्स हो रहा है राइट तो अपॉर्चुनिटी क्या है अपॉर्चुनिटी है कि हमें जो डिमांड है इस समय चीजों पर उसके ऊपर फोकस करना चाहिए जो डिजिटल टेक्नोलॉजीज एआई इन सर्विसेस तो देखो एआई तो बहुत बड़ा डिसर पशन ला सकता है इनफैक्ट अगर आप देखोगे तो इकोनॉमिक सर्वे में एआई को लेकर प्रॉपर वार्निंग दी गई है स्पेशली मिडिल और लोअर इनकम वर्कर्स के लिए देश के अंदर पॉपुलेशन ज्यादा है इकोनॉमिक सर्वे का ये कहना है कि एआई प्रॉमिस तो करता है कि वो इंडस्ट्रीज को रिवल शनाइडरमैन का क्या होगा जॉब जाएंगी तो वो क्या होगा तो इसको लेकर थोड़ी सी चिंता है जो कि डिस्कशन किया गया इकोनॉमिक सर्वे के अंदर तो इसी की वजह से हमें पॉलिसी सपोर्ट लाना चाहिए और एप्रोप्राइटिंग साथ ही साथ दुनिया को इस समय व वर्कर्स की आवश्यकता है तो वो हम कैसे प्रोवाइड कर सकते हैं अगर हम उनको स्किल नहीं देंगे तो ओबवियस सी बात है वो हम सप्लाई नहीं कर पाएंगे.


  • AGRICULTURE AND FOOD MANAGEMENT : SECTOR OF THE FUTURE





  •  एंड दैट इज रिलेटेड टू एग्रीकल्चर देखो अगेन एग्रीकल्चर बहुत इंपॉर्टेंट है और इस बार भी इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि एग्रीकल्चर ने कुछ हद तक भारत की जीडीपी को बचाया है जैसे कि अगर आप देखोगे तो यहां पर एग्रीकल्चर में भारत सरकार का कितना कंट्रीब्यूशन था सरकार कैसे इसको और बेटर कर रही है तो एक तो क्या होता है कि एग्रीकल्चर में अक्सर जो किसान होते हैं वो किसी साहूकार या किसी के पास पास जाते हैं और पैसे मांग लेते हैं जहां पर उनको बहुत इंटरेस्ट पे करना पड़ता है तो नॉन इंस्टीट्यूशनल क्रेडिट एक्चुअल में भारत में काफी कम हुई है यह तो कंपेयर किया गया आजादी के बाद से आजादी के समय 1951 में ये एक्चुअली 90 % हुआ करता था 90 % जो उधार है लोग आसपास अपने आसपास पड़ोस में जो कोई अमीर व्यक्ति है उससे लिया करते थे लेकिन आज के डेट में वो सिर्फ 25 % हो गया लेकिन मेरा मानना है कि ये अभी भी ज्यादा है आखिरकार 25 पर लोग भी इस तरह से कैसे पैसा ले रहे हैं तो 75 पर लोग हैं अब जो या प्रॉपर बैंकों से जो फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस होते हैं उनसे पैसा उधार ले रहे हैं और इसी की वजह से अल्टीमेटली जो क्रेडिट फ्लो है स्मॉल और मार्जिनल फार्मर्स के लिए ये भी अच्छा खासा बढ़ा है जैसे 2014-15 में 3.47 लाख करोड़ उधार दिया गया था स्मॉल और मार्जिनल फार्मर्स को आज ये आप देख सकते हो आंकड़ा 14 लाख करोड़ पहुंच गया है मतलब एक अच्छी बात है कि लोग प्रॉपर चैनल्स के माध्यम से पैसे ले रहे हैं 





  • फिर इसके अलावा एग्रीकल्चर में जो माइक्रो इरिगेशन है इसके ऊपर सरकार ने काफी फोकस किया है और इसकी संख्या काफी हद तक बढ़ी कितने हेक्टेयर को कवर किया गया ये आप देख सकते हो फिर इसके अलावा सस्टेनेबल फार्मिंग के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना सोइल हेल्थ कार्ड पर ड्रॉप मोर क्रॉप इस तरह के कई सारे जो योजनाएं हैं वो सरकार लेकर आई है .

  • CLIMATE & ENVIRONMENT : ADAPTATION MATTERS




  •  देखो आज के डेट में कोई भी चीज का अगर आप डिस्कशन करोगे ना बिना क्लाइमेट चेंज के बारे में वो पूरा ही नहीं होगा और देखिए भारत को लेकर भी बहुत चिंताएं हैं और देखिए भले ही डिस्कशन थोड़ी सी उतनी वो नहीं होती है लोग उतना फोकस शायद नहीं करते हैं लेकिन स्टिल भारत के लिए और पूरे दुनिया के लिए बहुत बड़ा चैलेंज है लेकिन तो इसकी वजह से भारत को प्रायोरिटी क्या रखनी चाहिए वो इकोनॉमिक सर्वे में डिस्कस किया गया है चैलेंज क्या है हाई इकोनॉमिक ग्रोथ हमें अचीव करना है 2047 तक हम चाहते हैं डेवलप्ड कंट्री बने और 2070 तक हम चाहते हैं कि हम नेट ज जीरो बने मतलब नेट ज जीरो का मतलब हुआ हम और एनवायरमेंट में पोल्यूशन कंट्रीब्यूट ना करें जो ग्रीन हाउस गैसेस होता है ना वो हमें एनवायरमेंट में कंट्रीब्यूट ना करें वो हमारा नेट जरो रहना चाहिए फिर इसके अलावा इंटरनेशनल सपोर्ट में बहुत ज्यादा कमी है क्या है कि भारत अभी भी डेवलपिंग कंट्री है तो हमें फाइनेंस वगैरह मिलना चाहिए सर आपने देखा होगा क्लाइमेट चेंज की जो समिट होती है कॉप कॉप 23 - 24 तो उन सब में अर चर्चा तो होती है कि यहां पर डेवलपिंग कंट्रीज को ये पैसे मिलेंगे लेकिन उतने मिलते नहीं हैं अब प्रॉब्लम क्या हो जाता है कि भारत जैसे देश में जहां पर हमें जॉब क्रिएशन करना है अफोर्डेबल एनर्जी सिक्योरिटी लानी है तो उसमें हम लो कार्बन पर भी फोकस करें तो ये सबसे बड़े चैलेंजेबल है अपने आप को कैसे अडॉप्ट कर सकते हैं एनवायरमेंट के थ्रू वो हमें देखना चाहिए फिर इसके अलावा जो तो अ जो ज्यादा कार्बन रिलीज करते हैं इंडस्ट्रीज वगैरह उसको देखना चाहिए कोयला वाला जो प्रोड्यूस वगैरह होता है थर्मल एनर्जी तो उस पर फिर सरकार का इकोनॉमिक सर्वे का कहना है कि मिशन लाइफ पर फोकस करना चाहिए





  • जैसे कि हमारे जो लाइफ स्टाइल चेंज जैसे कि अगर आप देखोगे दुनिया की 13 % आबादी भी अगर अपना लाइफ स्टाइल चेंज कर लेगी तो 20 % कार्बन एमिशन कम होगा ये बोला गया है फिर इसके अलावा अगर हम जो खाना लेते हैं वो लिमिटेड क्वांटिटी में ले और उसको वेस्ट ना करें तो इसकी वजह से भी मतलब 90 केजी ऑफ एनुअल फूड वेस्ट कम होगा पर पर्सन अगर आप देखिए साल भर में कार पूल अगर हम करेंगे तो ज्यादा फायदा होगा फॉसिल फ्यूल कम जलेगा तो ये सब चर्चा की गई है लाइफ के अंदर 



  • इंपॉर्टेंट चीज है देखिए क्लाइमेट चेंज में कि भारत कितना कंट्रीब्यूट कर रहा है क्लाइमेट चेंज को रोकने में तो नेशनल डिटरमाइंड कंट्रीब्यूशन आपने पढ़ा होगा इसको क्लाइमेट चेंज के पर्सपेक्टिव से कि भारत ने कितना कमिटमेंट दिया है देखो भारत ने बोला था कि 2030 तक 50 % हमारा जो एनर्जी इलेक्ट्रिसिटी इंस्टॉलेशन है वो आपका रिबल एनर्जी से आएगा लेकिन हमने ऑलरेडी 47 % अचीव कर लिया आप देख सकते हो कोयला इस समय 46 % कंट्रीब्यूट करता है गैस 5 पर फिर बाकी का जितना है वो हमारा आता है अ बेसिकली रिन्यूएबल एनर्जी से ये आप देख सकते हैं फॉरेस्ट कवर भी हमने यहां पर बोला था कि 2030 तक हम 2.5 टू 3 बिलियन अ टंस ऑफ कार्बन डाइऑक्साइड का जो कार्बन सिंक है वो बनाएंगे मतलब ट्रीज वगैरह ग्रो करेंगे तो फॉरेस्ट क भर हमारा बढ़ेगा जो कि ऑलरेडी हमने 2024 में अचीव कर लिया है तो इसको इकोनॉमिक सर्वे ने कहा है कि भारत इसकी तरफ कई सारे कदम उठा रहा है



  • SOCIAL SECTOR : EXTENDING REACH AND DRIVING EMPOWERMENT



  • दैट इज रिलेटेड टू सोशल सेक्टर मतलब सोशल सेक्टर जैसे एजुकेशन हेल्थ इस तरह की चीजों पर सरकार कितना खर्च कर रही है तो बेसिकली अगर आपको कंपेयर करना है मतलब टोटल एक्सपेंडिचर कितना होता है यह आप देख सकते हो जैसे कि अगर आप टोटल एक्सपेंडिचर बिजली सड़क पानी मतलब सब कुछ मिला दो देश में जितना एक्सपेंडिचर होता है तो यह है 98 लाख करोड़ वहीं अगर हम बात करें सोशल सर्विसेस एक्सपेंडिचर की अ मैं देखो ये जो टोटल एक्सपेंडिचर बता रहा हूं ना इसमें सेंट्रल गवर्नमेंट का कंट्रीब्यूशन और टोटल जितने राज्य हमारे देश के अंदर 28 स्टेट्स प्लस जितने यूनियन टेरिटरीज हैं उन सबका कंट्रीब्यूशन अगर आप देखोगे तो एक्सपेंडिचर किया जाता है 98 लाख करोड़ ये मैं 2025 का बजट एस्टिमेटर रहा हूं तो अगर इसमें से आप निकालो कि कितना परसेंटेज हम सोशल सर्विसेस पर एक्सपेंडिचर करते हैं तो वो है 26 % आप देख सकते हो 98 लाख करोड़ में से 25.7 लाख करोड़ ये सोशल सर्विसेस पर एक्सपेंडिचर हो है






  •  जैसे स्कूल्स में एजुकेशन तो अगेन आप देखोगे तो यहां पर स्कूल्स की काफी चर्चा हुई है कि कैसे स्कूल्स में बेसिक फैसिलिटी बढ़ाया गया है गर्ल्स का टॉयलेट लगभग 97 % स्कूल्स में मिलेगा बॉयज के लिए सेपरेट टॉयलेट 95 % स्कूल्स में हैंड वॉश की फैसिलिटी कितने परसेंट स्कूल में लाइब्रेरी इलेक्ट्रिसिटी चिंता की बात मैं यह देख रहा था कि कंप्यूटर और इंटरनेट अभी भी लगभग आधे ही स्कूल्स में यह कवरेज है इंटरनेट सोच के देखिए जहां भारत में इतना तेजी से यूपीआई और कितने बड़े-बड़े चीजों की बात करते हैं अभी भी सिर्फ आधे स्कूल्स हैं भारत में जहां पर इंटरनेट की फैसिलिटी आपको देखने को मिलेगी तो सरकार को इधर भी फोकस करने की आवश्यकता है 




  • रूरल इकोनॉमी को बूस्ट करने के लिए पावर करने के लिए आप देख सकते हो यहां पर सरकार ने कई कदम उठाए हैं चाहे वो आपका स्वच्छ भारत मिशन हो गया मिशन अमृत सरोवर हो गया तो ये सब एक बार आप चाहो तो देख सकते हो जल जीवन मिशन ये कई सालों से आप आई एम श्योर सुनते आ रहे होंगे



  •  हेल्थ को लेकर भी अगर आप देखोगे तो यहां पर सरकार ने कई चीजें की है स्पेशली जो आयुष्मान भारत स्कीम है तो इसमें बोला गया है लगभग 36 करोड़ से ज्यादा आयुष्मान कार्ड इशू किए जा चुके हैं फिर दवाई सस्ती मिले इसके लिए जन औषधि केंद्र 14000 से ज्यादा बनाए हैं देश के अंदर ताकि लोग सस्ते दाम पर दवाई ले सके फिल फुल इमुना इजेशन जो आपको अ वैक्सीनस वगैरह लगती है तो वो भी आप देख सकते हो 93 % यह आपका किया जा चुका है और भी थोड़ा सा इसको लेकर काम करना बाकी है





  •  एंप्लॉयमेंट देखो डेफिनेटली देश में इस समय जो जॉब क्राइसिस है वो चल रही है इसे कोई डिनायर सकता चाहे इकोनॉमिक सर्वे क्या कह रहा है या फिर कोई और चीज है लेकिन स्टिल आपको समझ ना होगा कि इस समय जब बजट आएगा तो उसमें भी देखना होगा कि निर्मला सीतारमन जी क्या करती हैं अल्टीमेटली अगर आप देखोगे जो अन एंप्लॉयमेंट रेट है इकोनॉमिक सर्वे का यह कहना है कि 2017 -18 से अगर आप कंपेयर करोगे तो अनइंप्लॉयमेंट रेट एक्चुअल में कम हुआ है 2017-18 में अनइंप्लॉयमेंट रेट 6 % था जो कि अब गिर कर हो गया है 3.2 % ऐसा इकोनॉमिक सर्वे का कहना है 






  • फिर इसके अलावा यहां पर देखो अक्सर मैं भी इस चीज की चर्चा करता हूं वो है अ फीमेल लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन देखो लो लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन का मतलब क्या होता है मान लीजिए हमारे देश में 100 लोगों की आबादी है जिसमें से 40 लोग काम कर रहे हैं 20 लोग काम करना चाहते हैं नहीं कर पा रहे हैं और इसमें से 40 लोग ऐसे हैं जो काम नहीं मतलब जो काम करना ही नहीं चाहते तो यहां पर उनकी संख्या हम काउंट करते हैं जो काम कर रहे हैं और करना चाहते हैं तो उसको लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन कहते हैं मतलब इसमें 60 लोग ऐसे हैं तो 60 % ये हो जाएगा तो क्या है कि देखो भारत में अगर आप देखोगे तो जो पुरुष है व उसका पार्टिसिपेशन रेट तो ज्यादा है लेबर फोर्स पार्टी लेकिन स्पेशली महिलाएं उनका कम था इकोनॉमिक सर्वे का यह कहना है कि अगर आप 2017-18 से कंपेयर करोगे तो लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन महिलाओं का यह बड़ा है और स्पेशली आप देख सकते हो चार्ट में दिखाया गया है ग्राफ में कि कैसे उत्तर प्रदेश बिहार यहां पर बहुत कम हुआ करता था झारखंड ये अब येलो की तरफ आ चुका है मतलब लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन बढ़ रहा है फिर इसके अलावा और भी जगह पर ये पूरा का पूरा साउथ इंडिया सेंट्रल इंडिया हो गया यहां पर ग्रीन कवरेज आ चुकी है मतलब लगातार महिलाओं की पार्टिसिपेशन बढ़ती जा रही है क्योंकि जब तक वो पर्ट प सिपेट नहीं करेगी हम अपना बहुत बड़ा रिसोर्सेस खोते जा रहे हैं और जीडीपी में उतना इजाफा नहीं हो पाता है 




  • फीमेल लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन बढ़ाना है तो और भी चीजें करनी होंगी सरकार को कई सारे स्कीम्स वगैरह भी सरकार ने लॉच किए जैसे क्रेडिट वगैरह हो गया और ज्यादा क्रेडिट दिलाया जाए यहां पर महिलाओं से ओन जो रिलेटेड एं एंटरप्राइजेस हैं उनको सरकार को सपोर्ट करना चाहिए मार्केटिंग सपोर्ट हो गया स्किल डेवलपमेंट हो गया तो ये सब और ज्यादा सरकार को फोकस करना पड़ेगा .

  • LABOUR IN THE AI ERA :





  • एआई के बारे में मैंने मैंने आपको पहले ही बता दिया कि एआई को दोनों तरह से देखा जा रहा है क्राइसिस भी है कैटालिस्ट भी है कहने का मतलब यह है कि यहां पर हमारे पास बहुत सी अपॉर्चुनिटी है एआई को लेकर चैलेंज भी बहुत सारे हैं चैलेंज यही है कि भारत में अगर हम जो स्किल डेवलपमेंट नहीं करेंगे तो यहां पर हमारी पूरी जो हम बात करते हैं ना आपका डिविडेंड की डेमोग्राफिक डिविडेंड कि हमारे पास यंग पॉपुलेशन है तो आप उस यंग पॉपुलेशन का करोगे क्या जब एआई जैसी चीजें अगर आपकी जॉब्स खा जाएंगी तो तो इसकी वजह से सरकार को बहुत सारी चीजों पर फोकस कर ना है उसको मैनेज करना है कि कैसे एआई के चैलेंज से निपटा जा सकता है



  •  तो यह पूरा समरी था एक तरह से दोस्तों इकोनॉमिक सर्वे का जितने भी चैप्टर्स थे उसको एक-एक करके मैंने आपको कवर करने की कोशिश की आई होप कि आपको इससे फायदा मिला होगा 






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